नई दिल्ली। हर तरह के मानसिक तनाव से बचाने में रामबाण और शरीर के हर अंग की तंदुरुस्ती की संभाल करने मैं कामयाब, रोगों को भगाने और इलाज करने में सहायक, डर्बिक अनुसंधान एवं विकास के 48 साल लंबे अनुभव के परिणामस्वरूप मेडिकल साइंस के समुद्र की तह में, पैरामेडिकल साइको फिजियोथैरेपी और सूफियाना रियाज़त जैसी विशेषताओं वाली हकीमी वर्जिशें शोध के दौरान मिल गई है।
इन हकीमी वर्जिशों के 42 वे वर्जन की पांडुलिपि को इंडियन योगा एसोसिएशन दिल्ली राज्य के स्टेट एग्जीक्यूटिव और भारतीय योग संस्थान दिल्ली राज्य के प्रभारी पवन कुमार साहब को अनुवर्त भवन आईटीओ पर होने वाली राज्य स्तरीय बैठक के मौके पर, इन हकीमी- वर्जिशों के शोधकर्ता डॉ बदरुल इस्लाम कैरानवी ने सोंपा।
यह हकीमी-वर्जिशें बिना भेदभाव अत्यधिक लाभदायक है और दुनिया जहां की सभी विचारधाराओं के मानने वालों के लिए स्वीकार्य योग्य है। हकीमी वर्जिशों को ऐसा बनाने के लिए इन पर 48 साल तक लगातार शोध और तजुर्बात किए जाते रहे, यहां तक कि 35 लाख लोगों पर भारत सरकार की मदद से प्रयोग किये गये। इस अवसर पर हकीम अताउर्रहमान अजमली ने खुशी अभिव्यक्ति करते हुए बताया की हकीमी वर्जिशें की खास बात यह है कि इन का अभ्यास मानसिक तनाव से बचाता है,
मन अपने आप कमजोरों का साथ निभाने वाला, सबका भला करने वाला बन जाता है, कंस्ट्रक्टिव मन के साथ सब की फिक्र करने वाला और दूसरों का दर्द महसूस करते हुए उन्हें राहत पहुंचाने वाला अमन पसंद, मजबूत इरादों का मालिक ? नेक बंदे वाला हो जाता है। साथ ही शरीर के अंग अंग में शक्तिमान जैसी शक्तियां आ जाती है और वह किसी को नुकसान न पहुंचाने की वजह से ईश्वर अल्लाह का मनपसंद सशक्त बंदा बन जाता है।
हकीम अताउर्रहमान अजमली ने आगे बताया कि, इसीलिए हकीम, डॉक्टर, उल्मा, महिलाएं एवं यूवा दल इत्यादि उत्साह के साथ मस्ती से डॉ बदरुल इस्लाम कैरानवी की चयनित और बेहतर बनाई हुई, लाजवाब साबित हो चुकी इन हकीमी एक्सरसाइज के नवीनतम वर्जन को सीखने और सीखने के लिए पसंद कर रहे हैं, मुफ्त सिखाने वाले ऑनलाइन यूट्यूब पर जाकर भी नफा उठा सकते है।
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